Kite-mania

कटी कटी एक पतंग कटी शहर के पीछे कही

है मेरी क्यूंकि कोई नहीं है और अभी
चाहत है मेरी पालू इस पतंग को अभी

रंगों से और नयी उमंगो से भरी कागज़ की ये पतंग मेरी

है मंजा इसका लाल लाल, सदी है गांठो मैं कही

लाऊं कैसे इसको निचे, बदती जाए साँस मेरी!
कटी कटी एक पतंग कटी शहर के पीछे कही!

ना पत्थर है न है कोई सीडी, oh my god!
कैसे फांसू मैं इसकी रस्सी
चढ़ जाऊ पेढ़ पर, लगता है अब यही सही
शुरात हो आज, अभी वरना तो फीर ये पतंग मिलेगी नहीं,

कटी कटी एक पतंग कटी शहर के पीछे कही
समय से हु आगे मैं पर practice  नहीं है ज्यादा मेरी
आज पा लू इस पतंग को बस
चाहत है बस यही
आ आ गयी ये हाथ मेरे
छुट गयी ये फीर कही,
पतंग है या है फीर  spelling mistake कोई मेरी!



Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

Blog at WordPress.com.

%d bloggers like this: